ADD

अधुरी बात


अधुरी बात

जाग उठी कसक 
कोने मे बार बार 
पल ये पलछिन 
जो छुड गये मेरा साथ 

उस दिन भी गीरी 
ये नीगोडी बरसता 
आज तक बरस रही 
मेरे नैनो के साथ 

छुड गये वो तनहा 
अपनी यादों के साथ
लहमा नहीं छुटती यादें 
इन सांसों के साथ 

बदली मे खिली चांदनी 
वो अधुरी बात 
हमदम आजा 
पुरी करने बात 

एक एक बात
जो हमे है याद 
ये मेरे सजना 
वो दिन वो रात 

जाग उठी कसक 
कोने मे बार बार 
पल ये पलछिन 
जो छुड गये मेरा साथ 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ