दिल संभल जा जर
दिल याद कर ले जरा
बीते लहमों को तनहा
कदम चले थे हम कभी
उन को आज देखने चला
दिल याद कर ले जरा
डूबती शाम नजारा
सागर का कीनारा
लगता था कभी बसेरा
बसेरा ढुंडा ने चल
दिल याद कर ले जरा
हातों का वो छुना
मचलता था दिल मेरा
बातुओं का वो जादु
फिर उसे छुने चला
दिल याद कर ले जरा
दिल संभल जा जरा
क्या तु कर ने चला
अकेलापन साथ तेरा
हवा मै अब उडने चला
दिल याद कर ले जरा
दिल याद कर ले जरा
बीते लहमों को तनहा
कदम चले थे हम कभी
उन को आज देखने चला
दिल याद कर ले जरा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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