ADD

आंखी


आंखी 

आंखी देख कीले फफ्रराणीच 
दुर देख देखिकी कीले टाप काणी च 

माया लगणदी च 
कभी लज्जांदी च 
कभी बुलाणदी च 
कभी मन को भेद छुपांदी च 
कभी लगणदी च 

म्यार गड़ देश की ये आंखी 
कणी श्रमयाली ये आंखीच 

निर्जर निर्मल प्रेम 
अन्ख्युमा समायु च 
वों मा प्रतीक्षा को 
बंधा देख लग्युंचा 
बाटा हेरदी च ये आंखी 

म्यार गड़ की कहाणी लगदी च 
पीड़ा खैरी छुंपंदी च ये आंखी 

सवेर सवेर उठ जांदी च
कम मा लग जांदी च 
सारी पुन्गडी डंडा ले जांदी च
चुलह भी व जलन्दी च 
दोई व्हैकी भी यकुली च ये आंखी 

रातमा उदास होजाणदी च 
आंखी मा नींदी बहाणी च 
मैता की स्वामी के खुद लगणी च 
भै भुलों बाण टापराणी च 

मी थै याद आंदी च 
मी थै म्यार मुल्क बुलण दी च
मेरी आंखी मा वों की आंखी छुप जांदी च 
मेरी देश की ये आंखी च 

आंखी देख कीले फफ्रराणीच 
दुर देख देखिकी कीले टाप काणी च 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत


कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ