बेल
बेल बेल की बतचा
फिर सवेरा फिर रात चा
पह्डामा बस्युं मेर
यक्लू यक्लू कुटमदरी चा
बेल बेल की बतचा ................
रात रात णी कटेणी
सवेरबगत बेलणी सरैणी
चिंता मेरी पहाडा की
कखक मिल लागैणी
बेल बेल की बतचा ................
सरुका आयी प्रभात
झण क्या व्हाई बात
बलदा मेर ये हल्या
चला पुन्गड़ का पास
बेल बेल की बतचा ................
दोपहरी को घाम
देख मीलणी चितैयी
भूख तिश मेरी भूलह
मेर अब हर्ची गैयैई
बेल बेल की बतचा ................
ब्योखनी को बेल
मी थै जागा ऐई
सीयँ ये भूलह
सारा दीण गैनी
बेल बेल की बतचा ................
येगे रात पह्डामा
चोमासा ग्याई मेर
इन ही तीन हालामा
दारू सीयँ बंजा पुन्गाडा मा
बेल बेल की बतचा ................
जीवन मेरु देख
झट भूरा उड्ग्याई
बुड्या पन मा मेर
अकल दाडा आयी
बेल बेल की बतचा ................
कण मंडयूँ खेलचा
पहाड़ मेर बेल चा
छुटी कमधणी मेर
अब अणी रेल चा
बेल बेल की बतचा ................
बेल बेल की बतचा
फिर सवेरा फिर रात चा
पह्डामा बस्युं मेर
यक्लू यक्लू कुटमदरी चा
बेल बेल की बतचा ................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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