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अस्त


अस्त 

ब्युओखनी घाम वहाई अस्त 
देख पह्ड़ा वहई मस्त 
रोल्युं गद्न्युं रात पुडी झाम 
घार घार बाती बले भाम 
ब्युओखनी घाम वहाई अस्त ...

दीण चर्या को विराम पडी 
काका ब्वाडा थै आराम पडी 
पुंगडी मा कमरी तुडैकी बाब 
खट्लों थै देख अब कम पडी 
ब्युओखनी घाम वहाई अस्त ...

नारी को विपदा को ना ची अंत 
खैरी की रुटालो अब भी संग 
चूल्हों दगडी दगडी रात सैखी
चुलह दगडी ही रात छे खुली 
ब्युओखनी घाम वहाई अस्त ...

कखक भाटे की आयु दीण 
कखक भाटे की ग्याई रात 
म्यार पह्ड़ा थै भ्रमैगे दीण 
रात ग्याई हेर हेरी की बाट
ब्युओखनी घाम वहाई अस्त ...

कब आलो वा दीण कब आली वा रात 
अपर वाहला अपरा साथ 
कब अली यैसी प्रभात दगडया 
कब मील जोली की रोहाला एक साथ 
ब्युओखनी घाम वहाई अस्त ...

ब्युओखनी घाम वहाई अस्त 
देख पह्ड़ा वहई मस्त 
रोल्युं गद्न्युं रात पुडी झाम 
घार घार बाती बले भाम 
ब्युओखनी घाम वहाई अस्त ...

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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