धुण भुण
लगी लगी धुण
गों गों मा भागी धुण
कैंका बाण कैका बाण
मारी सुर कंण भागी धुण
लगी लगी धुण...............
दूँण दूँण की पैली बात
भुण खैगे सारु भात
दुर तक चली आज बात
दिल्ली बठै ऐगे बारात
लगी लगी धुण...............
गैर-सैण मा ऐगे बात
बिसरी गे सब बीती बात
सतरा जिलों की खैरात
बाल बणी राजधानी की बात
लगी लगी धुण...............
लंबा गों मा पुंछी बात
टिहरी डैम मा होई शुरवात
आन्दोलन चलणु अब दीण रात
सरकार चुप छे बल जिले की बात
लगी लगी धुण...............
लैंसनडोन की अब बात
सैनिक चुप छे अब शहीदों की बात
अमर होयां बिता कद्गग दीण रात
कुटम्ब थै ना मिले अब तक सन्मान
लगी लगी धुण...............
गों गों मा पूंछगे अब ये बात
खैरी विपदा म्यार पहडै के साथ
भुलह भुली भुलेगे सारी बात
गढ़ छुडीके कखक चलेगे आज
लगी लगी धुण...............
सारी बात घुमै के ऐगे मेर पास
अब मी सचणु क्या करु बात
आँखों मा ऐगे उमली बरसता
दीण रात बहणी अब मेर साथ
लगी लगी धुण...............
लगी लगी धुण
गों गों मा भागी धुण
कैंका बाण कैका बाण
मारी सुर कंण भागी धुण
लगी लगी धुण...............
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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