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कब आलो उत्तरखंड ध्यै लागाणु


कब आलो उत्तरखंड ध्यै लागाणु

ओ बाटा ओ कुडा ध्यै लगाण छन
ओ तिमाला का डाला मी थै बोलणा छान
मण खुद सैरु व्हायेगे
पीड़ा मेरी गैरू व्हायेगे
ओ बाटा ओ कुडा ध्यै लगाण छन

बैठों छुं मी पल छाला
मुख अपर मोड़ी की 
अब कोई नी ध्यै लगाणआंदु बोई 
भै बन्द गों गोठयर छुडीकी 
ओ बाटा ओ कुडा ध्यै लगाण छन

रीटा डंडा रीटा मन्खी
रीटा होयेगे ये गढ़ सरा 
पंच प्रयाग पंच बद्री ध्यै लगाण आज 
कखक छुडीकी चलगै तु ये छाला 
ओ बाटा ओ कुडा ध्यै लगाण छन

बोई बोई भी तैथै ध्यै लगाण आज
कखक लुकीगै मेरा बाला 
कै बादल कै कुलंण लुकागै आज 
आंखीण बघणी गंगा की धारा
ओ बाटा ओ कुडा ध्यै लगाण छन

कब आलो कब आलो बोडैकी
देखण छन दाणी आंखी बाटा 
कब मीलालो मोक्ष मी थै धरा 
कब आलो ओ भगीरथी सा बेटा 
ओ बाटा ओ कुडा ध्यै लगाण छन

ओ बाटा ओ कुडा ध्यै लगाण छन
ओ तिमाला का डाला मी थै बोलणा छान
मण खुद सैरु व्हायेगे
पीड़ा मेरी गैरू व्हायेगे
ओ बाटा ओ कुडा ध्यै लगाण छन

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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