शादी की सालगिरह
आज रिश्ता बंधा मेरा
सर सैरा सजा मेरा
अपनों छुड आयी वो
मुझे बुहत भायी वो
दोस्तों मेरी लुगाई वो
सात फेरे बाद आयी वो
जीवन से कदम मिलने
सात वचनों को लायी वो
दुःख सुख की साथी वो
मै दिया तो वो बत्ती वो
खुशीयुं की बाहर लायी वो
जीवन ने ली अंगडाई वो
सुखी मेरा परिवार
जैसी हम दो हमारे दो
२००० मै थी शादी
मकरसक्रांत बेल वो
इतने वर्षों के बाद जैसे
कल ही शादी होई वो
मेरी अर्धांगीनी मेरी पत्नी
तुम्हे भी बहुँत बधाई वो
आज रिश्ता बंधा मेरा
सर सैरा सजा मेरा
अपनों छुड आयी वो
मुझे बुहत भायी वो
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी

0 टिप्पणियाँ