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मेर पहाडामा


मेर पहाडामा 

जब चाडु राम
तब घुमीयु भरमाणड 
बोई कंण चक्रचाल घार घार आयी 
पहाडा बेटी ब्वारी सैणी खाणी हर्ची ग्याई 

जब चडी बरंणडी
तब बजण लगी घंडी 
बोई कंण हीवाला ये पहाड़ आयी 
मेरा पहाडा टूंड होग्याई 

जब चडी विस्की 
तब जेब च खीस्की 
गढ़वाल मची काण 
ईण छोरों की मस्ती 

जब चडी थैली 
में थै दे भूलह पैली
कोटाम्दारी रैगे भूखी 
ठेकैदरों खाणु खायाली 

कंण नचाण झुमैकी 
दारू दगडी घुमैकी 
घर से नाता छुडैकी 
अपरू का मन तोडैकी 

जब चाडु राम
तब घुमीयु भरमाणड 
बोई कंण चक्रचाल घार घार आयी 
पहाडा बेटी ब्वारी सैणी खाणी हर्ची ग्याई 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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