बाबा की छुईं सुण आजा
झण क्या वहाई बात भुलोंह झण क्या वहाई बात
अबैर अबैर सवेर व्हाई अब व्हाई राता
कुल्हाण लुकयां बिरला कुकारा बिलण गुहसयां मुसाआ
सरू गढ़ खाली व्ह्यांयां युन्की यख रजा
झण क्या वहाई बात भुलोंह ............२
चाखल पखाल उडी गैण घोल छोडी की आज
कूड़ा मा कंडा पड्यां सुन्घलों मा ताला
बिछु मकडी को जालु फैलु टूटी तिबारी आजा
घसा मा अब लुक्याँ छन कला सर्प आजा
झण क्या वहाई बात भुलोंह ............२
दूर दूर सड़की सड़की गैण त्यूं डणडीयूँ पारा
जंगला को बघा राजा पुंहछगै गाम मा आजा
बच्ची छे जो खेती आज बन्दोरों सुन्घरों पास
जंगलात को खता सै ग्याई जंगला को नाशा
झण क्या वहाई बात भुलोंह ............२
बैठयाछन सब हाथ मा हाथ धरी कब होलो प्रभात
खैरी विपदा बता दै कंण वहलो तेरु नाशा
धैया लगा की सुणले रै बेटा तू मेरु आजा बाता
पल्याँन एक बच्च्युं मार्ग नीच जरा गढ़वाल की सोच आजा
झण क्या वहाई बात भुलोंह ............२
झण क्या वहाई बात भुलोंह झण क्या वहाई बात
अबैर अबैर सवेर व्हाई अब व्हाई राता
कुल्हाण लुकयां बिरला कुकारा बिलण मा गुहसयां मुसाआ
सरू गढ़ खाली व्ह्यांयांण युन्की यख रजा
झण क्या वहाई बात भुलोंह ............४
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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