दर मंदर
दर मंदर आ आ छुटण लाग्यां
माटा का कुअडा अब तुटण लाग्यां
कोई अब कै कुआण ना रहाई
भाई बंद अब सारा कै कुहलाण लुकी गैण
दर मंदर आ आ छुटण लाग्यां .......२
मया ण अब खेल खेल्याई
मयारू गढ़ देश भी अछुतु णी रहाई
स्वार्थ अहंकार घर कै गयाई
अतिथी को गलसा दूध लुकी गयाई
छानी लैंदु गुआड़ अब छुटण लाग्यां .......२
लेंटर कुअडा अब गढ़ मा तणन पड्यां
गौं गौं अब रीटा होणा लाग्यां
संघलूं ओर कपाली पर ताला पड्यां
जीकोडी उकली उन्दरुआ का बाटा लाग्यां
बेटा बावरी नाती नातणी अब छुटण लाग्यां .......२
दर मंदर आ आ छुटण लाग्यां
माटा का कुअडा अब तुटण लाग्यां
कोई अब कै कुआण ना रहाई
भाई बंद अब सारा कै कुहलाण लुकी गैण
दर मंदर आ आ छुटण लाग्यां .......२
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी

0 टिप्पणियाँ