गैरसैण तिल कब राजधानी बाणण ?
गैर गैर ग़ैरु व्हैगे
दूँण अब सैरु व्हैगे
छेलु का गढ़ गैरु व्हैगे
पुंगडीयुं मा अब डैरू व्हैगे
रीटा डंडा केले रीटा भांडा केले
उकाला का बाट मा अब कंडा केले
गढ़देश को मन केले रुश गै
उन्दरून का जीकोडी दूँण बसगै
सैण मा सब केले हर्चीगै
देहरा मा केले राज बसगै
क्रांती की मशाल बली फिर बुझीगै
क्रांतीकरीयुं का स्वपण बल कखक छुटगै
गैर गैर ग़ैरु व्हैगे
दूँण अब सैरु व्हैगे
सीयीं सरकार थै जगण हमल
क्रांती मशाल फिर बालण हमल
एक दुई सब गढ़ जगीगै
गैरसैण फिर अब मुद्दा बाणीगै
हाथ की उंगल अब मुठी बाणगै ग
गढ़देश गैरसैण राजधानी बनगै
गैर गैर गैर सैण अब गढ़ को छेलु व्हैगे
दूँण बल अब गैरु व्हैगे
क्या ईणी वहलो भूलह ?
गैर गैर ग़ैरु व्हैगे
दूँण अब सैरु व्हैगे
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी

0 टिप्पणियाँ