ADD

कलम मेरी


कलम मेरी 

कलम मेरी 
लिख दे जर 
जो मेरे मस्तिष्क मे चला
दिल से कभी 
कभी सांसों के साथ 
लिख ले आँखों की बात 
हाथों का ले सहारा 
कल्पनाओं को कागज पर उतारा 
कलम मेरी 
लिख दे जर ........

अंतर पटल की वेदना कभी 
कभी सुख दुःख की धारा 
रिश्तों बधन की पुकार कभी 
कभी आपनो का सहारा 
दर्द की लकीर खींची कंही
कंही प्रेम का सहारा 
गैरों संग दिल खोजे
आपनो का टूटा कीनार 
कलम मेरी 
लिख दे जर ........

मंजी की पतवार कंही 
कंही नादीयुं ने दिया सहारा 
पर्वत की ऊँचाई चढी मैने 
कभी चीडीयुं संग रैन गुजार 
सूरज की पहेली किरण
रात का टीम टीम तारा 
चाँद मै हिंडोला लिया कभी 
मेरा ओ स्वप्ना सारा 
कलम मेरी 
लिख दे जर ........

कभी निजी कभी व्यक्तिगत 
हो जाता कलम बेचार 
रही की तरहं राह खोजता 
मंजील पर जा पंहुचता 
इतीह्स खोजता कभी 
कभी नारी के बारे मै सोचता
थककर कभी साँझ 
किसी चोरहे पर सुस्तात
एक और दो लाइन लिखकर 
आपने को विरम देता 
कलम मेरी 
लिख दे जर ........

कलम मेरी 
लिख दे जर 
जो मेरे मस्तिष्क मे चला
दिल से कभी 
कभी सांसों के साथ 
लिख ले आँखों की बात 
हाथों का ले सहारा 
कल्पनाओं को कागज पर उतारा 
कलम मेरी 
लिख दे जर ........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ