करहता पह्ड़ा
नशा ऐसा छाया पहाड़ नजर ना आया
कितने दिनों बाद इन्हे हम पर प्यार आया
जाने क्या बात होयी जाने कंहा प्रभात होयी
दूँण नरेणा की गढ़देश कैसे बारात आयी
करहता पह्ड़ा खैरी विपदा से घायल
मरहम पट्टी के साथ साथ दुरु,गड्डी भी साथ आयी
बेटी ब्वारी की चिंता मै देखो कैसे बाड़ आयी
मतदातों को रिझाने के लिये ही ये बहार आयी
टूटी सड़कें बयाँ करती पहाड़ का दर्द
रुती आंखें रुलाती यंह हर बे-वकत
फरक किसे पड़ता है यंहा अब
दो पल झुमने की वो सौगात आयी
ग्य्यार वर्ष का गम भूल कैसे जायें हम
उनके छलावे मै इस बार भी क्या ठगा जाये हम ?
क्रांतीकरीयुं सहादत तुम्हे पुकारती है
उत्तरखंड तुझसे गढ़ की राजधानी मांगती है
गढ़ की ये माटी तुम्हे याद दिलाती है
खुन की रंगोली क्या तुम्हे याद नहीं आती है
कब तक सोया रहेगा तो कब जागेगा
अपनों से कब तक ये दिल धोखा खायेगा
नशा ऐसा छाया पहाड़ नजर ना आया
कितने दिनों बाद इन्हे हम पर प्यार आया
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी

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