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कलीयुग


कलीयुग 

इसका दर्शन 
बड़ा विलक्षण 
पथ पथ पर यंह 
अथक परिश्रम 

ना भेदे लक्ष्य को 
जो करे गधा परिश्रम 
मीठी गर जुबाँ हो तेरी 
हर गया तो सारे श्रम 

तनिक ना होगा विलम्ब 
लक्ष्य होगा खुद करम 
माया का जाल होगा 
लालच का साथ होगा 

अहंकार अहम् डूबा 
यंहा हर एक वो पल होगा 
कोई किसी का नहीं यंहा 
बस एक छल होगा 

रिश्तों के साथ अब 
आँसुं की बरसात होगी 
आपनो की बात होगी
गैरों के ही साथ होगी 

चेहरे पर खुशी होगी 
माथे पर बल होगा 
दुनिया मै बस अब 
कलीयुगी बात होगी 

इसका दर्शन 
बड़ा विलक्षण 
पथ पथ पर यंह 
अथक परिश्रम 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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