मी बोल्या बाणीगे
जीकोडी तिल कण
जुनसी माया लगाई
दीण रात वीं मुखडी
मेरा सपीनीयुं आई
जुनसी मुखडी तिल कण माया लगाई
देखी तेर मुखडी जब बल
बस तेरी मुखडी दिख्याई
खाणु पीणु हर्ची मेरु अब
हाथ की काम धणी भी ग्याई
जुनसी मुखडी तिल कण माया लगाई
गों गोंल्युन मा भी घारा दार मा भी
डाला मा कभी छेलो मा भी
बाटों मा कभी बाजारों मा भी
बस मील तै दगडी ही बच्चाई
जुनसी मुखडी तिल कण माया लगाई
क्या होलो बल अब मेरु
जख बैठ्युंच मी वख बैठ्युं ही रहाई
बगत भी हर्ची टैम भी अब हर्ची ग्याई
मेर जीकोडी मै दगड़ क्या खेल खेल्याई
जुनसी मुखडी तिल कण माया लगाई
जीकोडी तिल कण
जुनसी माया लगाई
दीण रात वीं मुखडी
मेरा सपीनीयुं आई
जुनसी मुखडी तिल कण माया लगाई
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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