बीराणु व्हागै
मी आपरा पहाड़ मा बीराणु व्हागै
मुल्क पुराणु जमाणु नअयु वहगै
रीत रीवाज अब हमरी हर्ची गैण
किस्सा का रुप्युं सा अब हम खर्ची गैण
जलैबी जाणी अब सब सीध होंयाँ
माया लोभ मा मनखी का तुलों चुयाँ
पंतेद्र का बाट अब सब भूली गयां
कसरी पितला की अब बिकी गयां
बंजा पुन्गाडा सारु लग्युं आजा
कखक हर्ची हल बल्दों की जोड़ी को साथ
उजाड़ डाणड़ कीले रोणु आज
सड़की तुटक पुन्ह्चगै हर्ची गैण मेरु साम्राज्य
बार तियोहार भी बदली गैण
मासों बाज डोलकी की थाप पौप डिस्को मा भुली गैण
कुडा माटा बल अब उजाड़ी गैण
लेंटर का कुडा मा मया द्वेष उभरी ऐण
गामा गामा मा अब देख हाला
रीटा होग्या मेरु सारु गढ़वाल आज
जीकोडी सन्घुल पर ताला सा जुड़याँ
गदनीयुं का छाला अब सब तुटयाँ
मी आपरा पहाड़ मा बीराणु व्हागै
मुल्क पुराणु जमाणु नअयु वहगै
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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