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यादों की चादर


यादों की चादर 

यादों की चादर ओढ़ा लो मै आजा 
आँख की कोर से उसे छेड़ लों आज
तनहाई से मेरी दिलरुबाई है आज 
मातम ने दूर बजाई शहनाई है आज 

दिल की दीवार ने लिखा तेर नाम 
उसने कीया तुझे सरेआम बदनाम 
बीच राह तुडकर कर दे उसे इनाम 
वफा भी बेवफाई का अब लेगी इल्जाम 
यादों की चादर ओढ़ा लो मै आजा 

वीरने मै एक लाशा जल रही है 
गीली लकडीयां भी आज सुलगरही है 
गम गीन मौसम भी अब साथ साथ है 
लपटों मै उड़ रही वो बीती यादों की राख है 
यादों की चादर ओढ़ा लो मै आजा 

पञ्च तत्त्व मै मिलकर ना करारआया 
प्राण पखेरू को तब भी ना आराम आया 
कागा बनकर घर की खिड़की मै आज भी 
हमदम ये दिल करे तेरा ही पुकार 
यादों की चादर ओढ़ा लो मै आजा 

यादों की चादर ओढ़ा लो मै आजा 
आँख की कोर से उसे छेड़ लों आज
तनहाई से मेरी दिलरुबाई है आज 
मातम ने दूर बजाई शहनाई है आज 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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