बुरंस
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं
बुरंस बुरंस होयां डंडी मा
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
कंण बहार आयी डालीयुं
बसंत ऐगै ईण मोल्यारोंमा
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
लाल फुला हरा पत्ती मा
हरयाली बाटैगै देलीह मा
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
आयो मैना यो चैत को
खुद लगी गै मीथै मैत की
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
कंणडु भोरीक जाणा व्हाला
भग्याण गीता गाण वाहला
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
पुन्गाडी ध्यै लगाणी ऐजा
रुपाणी बीजा की अब बुतैजा
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
फुल्यारु हुल्यारू बरसो पहडामा
गीतंग ढोलकी बजै जा चोक मा
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
कंण महीनु आयु मेरु गढ़देश मा
घघुती हीलंसा उडी आकाश मा
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
म्यार गढ़ देश की ये रीत बताणु
मेरी ये संस्क्रती थै बचाणु मेर देश मा
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं
बुरंस बुरंस होयां डंडी मा
बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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