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गैणी


गैणी 

मेर जीकोडी मी थै बता दै 
बिता दिनों की अप्डी कथा लगा दै 

एक दिन एक रात हर दिन हमरा साथा 
सदनी दगडी दागड़या हमरी एक ही बाता 

उकालू उन्दारू का आपरा आपरा बाट़ा 
खैरी विपदा का सुण लियु ये गढ़ गाथा 

मी दागडी तु बता ये दागड़या
अप्डी छुयीं मै दगडी लगा दै या 

सवेर दिन रात बस काम ही साथ 
आंखी आंखी माँ दणमण बरसता 

केले गैणी स्वामी जी छुडी की 
ये गढ़ देश तेरा मेरा साथ मोडी की 

एक कूल्हण मै दागडी एक कूल्हण तै दगडी 
डणडु कांडू उजड़ा बंजो पुंगड़ओं का बाड़ा 

घुघुती घुर घुरू की बोला दागड़या 
यकुली अपरी एक की सी सांखी 

गढ़वाल दागड़या तु मेरा भागा
चों सड़की छुड़ चल ऊँचा निशा बाटा

मेर जीकोडी मी थै बता दै 
बिता दिनों की अप्डी कथा लगा दै 


बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी क्षीत
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