काया
ये काया
तिल क्या लाया
तेर पीछणे पीछणे
ऐगै ये माया
ये निर्भगी काया................
सुख दुखा की
कैसी रीत च
जीकोड़ी ल फिर
गै ये गीत च
ये निर्भगी काया................
अन्ख्युं मा दीखै
माथा मा सजै
नाका दगडी लगै
कनुअड़ी मा बल झुलै
ये निर्भगी काया................
गीचुडी छुंयीं लगै
हाथों दगडी बचै
खुठी दगडी तु हीठे
अपरा दगडी कभी बचै
ये निर्भगी काया................
खुद सोचदा रैगै तु
आपरों की णी सोच तैंन
रमता रैगे ये काया दगडी
गढ़ देश की णी सोच तैंण
ये निर्भगी काया................
बोई ये मातभुमी
बणी ना कर्म भुमी
देवभुमी हे गढ़वाल
व्यर्थ मेरी ये काया
ये निर्भगी काया................
ये काया
तिल क्या लाया
तेर पीछणे पीछणे
ऐगै ये माया
ये निर्भगी काया................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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