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एक राह


एक राह 

एक राह बनी है 
देर सवेर सब को जाना है 
कोई आगे कोंई पीछे 
करण एक बहाना है 
एक राह बनी है ..................

गाड़ी मै होगा जितना तेल
उतनी ही दूर उसे जाना है 
मंजील है तेरी दूर कंही 
राही यहं ना तेरा ठिकना है 
एक राह बनी है ..................


गोंबर का एक ढेला है 
जिस ने खेल यंहा खेल खेला है 
तेरे कर्मो के अनुसार ही 
सुख ओर दुःख का झमेला है 
एक राह बनी है ..................


माया लोभ कम क्रुद्ध मद-म्दत्सर का 
लगा यंहा पर लगा अजीब ये मेला है 
इस हाठ मै खुद ही खुद को बैचकर 
देखो तन रहा हो ओ पुतला अलबेला है 
एक राह बनी है ..................

वक़त से सब हारे हारे यंह अब 
ये चीड़ीया दो दिन रैन बसेरा है 
क्या मेरा क्या तेरा यंहा कबीरा 
जग तो जोगी वाला बस फैरा है 
एक राह बनी है ..................

एक राह बनी है 
देर सवेर सब को जाना है 
कोई आगे कोंई पीछे 
करण एक बहाना है 
एक राह बनी है ..................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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