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रॅाअडी


रॅाअडी 

उंदरु रॅाअडी जांदा 
बॅा्डी की कीलै णी आँदा
जीकोडी थैलू इत्गा तो घैरु 
उमली उमाला अन्दु ठैरु ठैरु 
रॅाअडी जांदा बॅा्डी णी केलै आँदा

मनख्यूं पीड़ा की 
विपदा बल खैरी की 
आंखी मा दणमण आंसु
जीकोडी मेर तो किले जिज्ञासु
रॅाअडी जांदा बॅा्डी णी केलै आँदा

बाटा अब हैरी का 
सबेर शाम फैरी का 
हैरी फैरी जैल बंयाँ पाखड
वा अग्नी वा वैदी का 
रॅाअडी जांदा बॅा्डी णी केलै आँदा


उंदरु रॅाअडी जांदा 
बॅा्डी की कीलै णी आँदा
जीकोडी थैलू इत्गा तो घैरु 
उमली उमाला अन्दु ठैरु ठैरु 
रॅाअडी जांदा बॅा्डी णी केलै आँदा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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