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आ मुझे रंग दे


आ मुझे रंग दे

चलो आज हम सब होली खेलें 
दो श्रण खुशी के संग हम भी जीलै !!
अपनी अपनी परेशानी को छोड़ यार 
रंगों की पिचकारी संग हम अब भरलें!!
चलो आज हम सब होली खेलें 

होली तो है जीजा और साली की
दूर खडी देख रही आज घरवाली जी!!
खाना पाना कल से अब बंद होगा 
फिर कल कंहा ऐसा मोसम होगा!!
चलो आज हम सब होली खेलें 

नुकड़ मै मचा आज तो है हुडदंग 
ढोलक तबला और बाजै मुर्दांग!!
होल्यारों की टोली अब लगी घुमने 
बाल बाला और सखीयाँ लगी झुमने!!
चलो आज हम सब होली खेलें 

एक बुजुर्ग सफेद मोंछों को तान 
बोला मै भी होली खेलोंगा आज!!
एक हाथ मै लकड़ी को थाम वो बोला 
कोई मुझे भी गुलाल लगा दो आज!!
चलो आज हम सब होली खेलें 

ख्सीया ती एक बुडीया वंहा आई 
बोली भाई बुडापे फुगुन ऋतू छाई!!
बोला बहन जग की है ये रीत सुहानी 
याद आ गई हम को भी आज जवानी!!
चलो आज हम सब होली खेलें 

ऐसा अवसर तुम भी ना छोडो भाई 
साल मै ही एक बार ही आती है होली !!
लेलो गुलाल गुबारे हाथों मै तुम आज 
रंग दो ओर कहो बुरा ना मनो होली है !! 
चलो आज हम सब होली खेलें 

चलो आज हम सब होली खेलें 
दो श्रण खुशी के संग हम भी जीलै !!
अपनी अपनी परेशानी को छोड़ यार 
रंगों की पिचकारी संग हम अब भरलें!!
चलो आज हम सब होली खेलें 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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