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आज कल

 
आज कल

बस चलता है बस चलता है
बीच रहा पर हर कोई लुटता है
वो खड़ा का खड़ा रहता है
यंहा पर अब सब चलता है .................

देख वो आसुँ भीगोता है
दर्द चेहरे पर उभरता है
दुर कोई खड़ा बस हंसता है
हंसकर आपनी रहा पखड़ता है
यंहा पर अब सब चलता है .................

अंधेरे को ना बदनाम करो
अब सब उजाले मै ही होता है
झुका रहता था जो शीश चरणु
आज वो सीने को तकता है
यंहा पर अब सब चलता है .................

उछालै जाते यंहा जामों को अक्सर
पैमाना हर वक़त प्यासा रहता है
भुख तडपती रहती है उसे रात भर
सर्द रात सा खुले मै ठीठोरता रहता है
यंहा पर अब सब चलता है .................

आज कल जो होता है
बस चलता है बस चलता है
बीच रहा पर हर कोई लुटता है
वो खड़ा का खड़ा रहता है
यंहा पर अब सब चलता है .................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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