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त्याग


त्याग 

सुख ग्रहण
दुःख त्याग
संसार सार

प्रेम स्नेह 
मेल मिलाप 
त्याग अतिभार 

मोहा माया 
लालच काम वासना 
लगता शिस्टाचार

त्याग की कल्पना 
भी यंहा है मह्पाप 
इस पर लगा है अभिशाप 

त्याग मै लोभ 
छुपा हर चेहरे के साथ 
माया का बोधा छुपा 

त्याग यंहा 
देखो आज बीका है 
प्रश्न चिन्ह सरताज बना है 

मन यंह पल पल 
अब व्यथीत होआ है 
दुःख बस संघठीत होआ है 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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