ख्वाइश
चाँद को पाने की ख्वाइश मै
गुजरी रात तमाम
झिलमिल करते रहे सितारे
देते रहे उसे सलाम
चाँद को पाने की.....................
कागज और कलम
ने लिखा कुछ पैगाम
दिल कोँन से नगर भेजों
संदेश अब उनके नाम
चाँद को पाने की......................
जुगनु की तरहं मै
जलता और बुझता रहा
अब तो सारे आम
फिर भी ना मिला मक़ाम
चाँद को पाने की......................
कोशिश तो की मैने
पाने की ऐ खुदा मेरे
दे दे वो चाँद मुझे या
सर दे दे मेरे इल्जाम
चाँद को पाने की......................
चला जाओंगा यंहा से
मुख से मुक बनकर यूँ
आऊँगा तेरे दरबार मै
ये चोला मै यंहा तजकर
चाँद को पाने की......................
चाँद को पाने की ख्वाइश मै
गुजरी रात तमाम
झिलमिल करते रहे सितारे
देते रहे उसे सलाम
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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