धरती
अगर यदि या तथापि
धरती क्षेत्र मै बसी पृथ्वी
आश्चर्यजनक अनन्तकाल सनातनत्व नित्यता
यंह बसी है कंही विविधता
क्रोध,वासना,प्रेम,आवेग,जोश
आरम्भ ओर अन्त के बीच लगा रोग
जीव्न ओर मन का संजोंग
उस पर लगा धन का प्रकोप
अगर यदि या तथापि
धरती के क्षेत्र मै बसी पृथ्वी....
इच्छा, लालसा, आशा, अभिलाषा
यंहा लिखी इनकी परीभाषा
मया और लालच की है ऐ भाषा
अंत तक सजती है यंहा आशा
अगर यदि या तथापि
धरती के क्षेत्र मै बसी पृथ्वी....
न्यायपूर्ण, सच्चा, नेक, निष्कपट
सॉ मै सों है यंह कपट
मान, मर्यादा, प्रसिद्धि, कीर्ति, यश
इस को पाने है इन्सान विवश
अगर यदि या तथापि
धरती के क्षेत्र मै बसी पृथ्वी....
विरोधता, दुश्मनी, वैर, लाग
यंह लोभ मै बसा है वैरगाया
मान, कीर्ति, विशिष्ठता, ख्याति
अब उस से ही बड़ी यंह भ्रांती
अगर यदि या तथापि
धरती के क्षेत्र मै बसी पृथ्वी....
अगर यदि या तथापि
धरती क्षेत्र मै बसी पृथ्वी
आश्चर्यजनक अनन्तकाल सनातनत्व नित्यता
यंह बसी है कंही विविधता
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्सhttp:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ