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बाजार



बाजार

फिर ते रहे बाजार मै 
कोई ना मीला अपना 
अब तो लगने लगा है ध्यानी 
जग है बस एक सपना 
फिर ते रहे बाजार मै ............................
सोच कोई तो लै लेगा 
बेचा रहा हों जो सपना 
मीला ना कोई ऐसा भी 
लगे जो खरीदार वो आपना
फिर ते रहे बाजार मै ............................
करवट बदली ऐसी जो 
वक़्त की कुछ ऐसी यार 
बिकेना एक ढेला आज 
हम तो लुट गये बीच बाजार 
फिर ते रहे बाजार मै ............................
कोई ना मीला अपना 
अब तो लगने लगा है ध्यानी 
जग है बस एक सपना 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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