गर अगर
गर अगर मै लगी है
पहले तो सहर मै लगी है
अजब देखो ऐ सदी है
अब घर घर मै ही लगी है
गर अगर मै लगी है
नामकीन था या था तीखा
मीठा था या था कडवा
जो सब के साथ साथ था
आजा खड़ा क्यों है वो जुदा
गर अगर मै लगी है
पहले तो सहर मै लगी है
अजब देखो ऐ सदी है
अब घर घर मै ही लगी है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी

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