आप के प्यार के लिये
हम आप से मिले जब
आप नाराज से लगे
ऐ कसूर था किसका
क्यों मजबुर हम लगे
दूरीयाँ अब निगाहें बनी
राहें गम की तनहाईयां बनी
मंजील मीली अक्सर हमे
रुक्सत दिल गहराई बनी
पास आना हमारा युं लगा
फुलों के संग जुदाई मीली
काँटों की चुबन चुबती रही
शबनम अंशुं बन रोती रही
हम नहीं बने आपके लिये
मोहब्बत के इजहार के लिये
इंतजार करते रहेंगें क़यामत तक
सनम आप के प्यार के लिये
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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