जूं
सर खुजाया फिर गिरा
जंहा भी गया वंहा मिला
सर का एक हिस्सा बना
और खुजा तो ओर खुजा
यंहा गिरा वंहा गिरा
सर खुजाया फिर गिरा
जंहा भी गया वंहा मिला....................
इस गली उस गली
इस सर उस सर अब हर सर
जंहा सर टिक्का वंहा दिखा
हर कोने मै वो छुपा
सर खुजाया फिर गिरा
जंहा भी गया वंहा मिला....................
जूं समाज का बन बैठा हिस्सा
गुण से एक दम नेताजी से जा मिला
उसने भी यंहा खुन चूसा
ये भी खुन चूस रहा
सर खुजाया फिर गिरा
जंहा भी गया वंहा मिला....................
जूं को हटाने के लिये
कितने किये उपाय
नेता जी की तरंह यह
सर की कुर्सी से ना जाये
सर खुजाया फिर गिरा
जंहा भी गया वंहा मिला....................
उसे भी ना होता है गिला
सुखी सी जगह या गीला
हर जगह वो ही वो मिला
बस उस के लिये सर खिला
सर खुजाया फिर गिरा
जंहा भी गया वंहा मिला....................
सर खुजाया फिर गिरा
जंहा भी गया वंहा मिला
सर का एक हिस्सा बना
और खुजा तो ओर खुजा
यंहा गिरा वंहा गिरा
सर खुजाया फिर गिरा
जंहा भी गया वंहा मिला....................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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