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शरीर चला जा राहा बस !!


शरीर चला जा राहा बस !!

मै जितना पास आता हों 
ओ मुझ से उतना ही दूर चला जाता है 
अपने आप को समझाता हों 
पर समझ मै कुछ नहीं पाता हों 
मै जितना पास आता हों 

कैसा मोहा कैसी मया है की 
मै बस खींचा ही चला जाता हों 
अंधकार से उजाले की ओर या 
उजाले से अंधकार बड़ा जा रहा हों 
मै जितना पास आता हों 

कुछ खबर नही कुछ डगर नहीं है 
चला हों कीस लालसा को पाने 
उसके लिये भी मुझे अब सब्र नहीं 
कैसे मोहा जाला है मै धंसा जा राहा हों 
मै जितना पास आता हों 

पास था उसकी परख नहीं 
दिल खिड़की है खुली पर दरक नहीं 
विचारों का दरवाजा बंद किये 
इस बंद कमरे मै चला जा राहा हों 
मै जितना पास आता हों 

मै जितना पास आता हों 
ओ मुझ से उतना ही दूर चला जाता है 
अपने आप को समझाता हों 
पर समझ मै कुछ नहीं पाता हों 
मै जितना पास आता हों 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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