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ठुमका


ठुमका 

देख देखा बांदा ऐ गढ़वाल 
कंण सजणी कंण लगाणी 
लास्का ढस्का दगडी
कंण चलणी कंण हिटणी 
देख देखा बांदा कंण हिटणी ................

म्यार गढ़ देश की बांद
बड़ी न्खरयाली ऐ बांद 
योंक ऐ न्खारयुं मा जीयु घ्याल 
क्या बुड्या क्या जावाँण 
योंका का ठुमका दिवाण
तु भी लगा ठुमका का साथ ठुमका दीदा 
देख देखा बांदा कंण हिटणी ................

डोलकी की थाप 
पैर का घुन्गुरु की छम छम 
ली गड्वाली गीतों की धुन 
क्या संगीत गों चौक चौक माँ भुल्हा 
उंकी राष्याँण उंकी ध्स्याँण 
ओ या अंद हर-बार तियोहार 
म्यार संस्क्रती की पाछण
तो भी नाच दीदा डोलकी बजा 
देख देखा बांदा कंण हिटणी ................

गर र र र र मारी गिरकी 
सबुका मुख लुँला तुअल छलकी
कोई ऐ ढयां कोई वै ढयां लमडी
बुआडा ल बुआडी को हाथ पकड़ी 
बुआडील झट अपरू हाथ झटकी 
कंण सब थै आपरू बाणद ऐ बांद
म्यार लोगों थै रिझान्द हस्यंद 
दो घड़ी को प्रेम आनंद दी जंद ऐ बांद 
देख देखा बांदा कंण हिटणी ................

देख देखा बांदा ऐ गढ़वाल 
कंण सजणी कंण लगाणी 
लास्का ढस्का दगडी
कंण चलणी कंण हिटणी 
देख देखा बांदा कंण हिटणी ................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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