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"आखिरी पड़ाव "


"आखिरी पड़ाव "

एक को लेकर बैठा मै दो आ गया 
उम्र का आखिरी देखो पड़ाव आ गया..................... 

अब मुझ को इस तरह रोज बुखार आ गया 
महगाई देखकर एक एक ऐ विचार आ गया
उम्र का आखिरी देखो पड़ाव आ गया..................... 

वो ही मुफ्ता आया अब तक साथ साथ मेरा 
बाकी अब सब बिल के साथ उधार आ गया 
उम्र का आखिरी देखो पड़ाव आ गया..................... 

पसीने संग बहाया था कभी पसीना मैने भी 
सोचा था सब अपना है अब वो पराया हो गया 
उम्र का आखिरी देखो पड़ाव आ गया..................... 

एक एक कर जोड़ा था मैने ऐ कभी घरोंदा 
अब देखो उस मै पतझड़ सा बाहार छागया है 
उम्र का आखिरी देखो पड़ाव आ गया..................... 

उजाड़ मै बसा अब मेरा तन मन और धन 
दिपका जला है घर पर अब अँधेरा छा गया 
उम्र का आखिरी देखो पड़ाव आ गया..................... 

उम्र की आखिरी पड़ाव की पीड़ा वो ही जाने 
जिस ने जींदगी बस मेरी तरहां स्वाह कर दिया 
उम्र का आखिरी देखो पड़ाव आ गया..................... 

एक को लेकर बैठा मै दो आ गया 
उम्र का आखिरी देखो पड़ाव आ गया..................... 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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