""दुरी""
दुरी आँखों की या नजरों की
मीलों चलें उन थके कदमों की
दुरीयाँ फिर उन फसलों की
या गुजरी उन उम्र दराजों की
दुरी आँखों की या नजरों की ...........
कभी साथ चले कभी दूर दूर
कभी मै कभी दिल था मजबुर
आपनो की थी कभी परायों की
दुरीयाँ थी या फिर उन सायों की
दुरी आँखों की या नजरों की ...........
चली आ रही थी वो अब साथ
लेकर यादों की अब बरसात
अजब खड़ा आज वो मोड़ था
दुर था मगर मोड़ा मेरी औरथा
दुरी आँखों की या नजरों की ...........
दुरी आँखों की या नजरों की
मीलों चलें उन थके कदमों की
दुरीयाँ फिर उन फसलों की
या गुजरी उन उम्र दराजों की
दुरी आँखों की या नजरों की ...........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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