फसाना
दो पल क्या हँस लिया
समझा मुस्कुराना आ गया
दो घूँट गम के पी गया
समझा गम भुलाना आ गया
खुशी दर्द के समंदर जब तैरा
समझा मकाम बनान आ गया
थपेड़ों पर जा मै यूँ लेटा
जैसे कश्ती पर किनार आ गया
दो घूँट गम के पी गया
समझा गम भुलाना आ गया
मासूमीयत उभरी चेहरे पर
समझा राज छुपाना आ गया
तकलीफ से ऊबरा जरा सा
समझा दिल लगाना आ गया
दो घूँट गम के पी गया
समझा गम भुलाना आ गया
जिंदगी गुजरी इस तरहा से
समझा साथ निभाना आ गया
अतं आया समीप कुछ ऐसे
समझा बात बनान आ गया
दो घूँट गम के पी गया
समझा गम भुलाना आ गया
दो पल क्या हँस लिया
समझा मुस्कुराना आ गया
दो घूँट गम के पी गया
समझा गम भुलाना आ गया
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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