क्ख्क हर्ची
क्ख्क हर्चे गैणी
वा हमरी पछाण हमरी पछाण
गढ़ देशा उत्तराखंड की
वा रीती रिवाज रीती रिवाज
क्ख्क हर्चे गैणी.................
नाका की नथुली बाणा
सोना तोलाई सोना तोलाई
सोना को भावा भुल्हा
मेर हिमकती पार ग्याई हिमकती पार ग्याई
क्ख्क हर्चे गैणी.................
कनडू का वो बूंदा
बणी अब यख फुंडा अब यख फुंडा
अन्ख्युं रेगे अब याद
बीता दिणु का बूंदा दिणु का बूंदा
क्ख्क हर्चे गैणी.................
माथा को मांग टीका
दादा अब भुली जा तू सिक्का भुली जा तू सिक्का
दो अंगुलों को सींदुरा
छुपा ग्याई भागा को मांग टीका भागा को मांग टीका
क्ख्क हर्चे गैणी.................
गालो का गुलोबंदा
मंगलसुत्रा काला दाणा बुंता
सुहागा को बणी धागा
हर्ची गैरै गुलोबंदा गैरै गुलोबंदा
क्ख्क हर्चे गैणी.................
वा कापला की वा बिंदी
अब बणीगै फैशण बिंदी बणीगै फैशण बिंदी
हाथों की वा चूड़ी
सोनो,कंचा का हाथ छुडी सोनो,कंचा का हाथ छुडी
क्ख्क हर्चे गैणी.................
हंसुली धगुली
देखता देखता ही रैगै देखता ही रैगै
अपरा लोग बोल्दा
बल फैशण को जमाना ऐगे फैशण को जमाना ऐगे
क्ख्क हर्चे गैणी.................
क्ख्क हर्चे गैणी
वा हमरी पछाण हमरी पछाण
गढ़ देशा उत्तराखंड की
वा रीती रिवाज रीती रिवाज
क्ख्क हर्चे गैणी.................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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