प्रवासी उत्तराखंड
मी प्रवासी पहडीयूँ थै
जब मी ऐ बात पूंछदूँ
भै मेरा क्या बात व्हाई
किल तिल ऐ पहडा छुडै
बात बात मा बात गोल व्हैजन्दी
अन्खुमा आंसूं की रेघ ऐजांदी
कंठ जब भुर जांदी गलडू बाटा
जीकोदी सररर फ़ैल जांदी
मी प्रवासी पहडीयूँ थै
जब मी ऐ बात पूंछदूँ......................
जब मन को उमल थामेंदूँ
त्बैर दोई शब्द अब भैर आंदी
हे उत्तरखंड हे मेरा बोयी
मी रैलू क्ख्क भी मरुँण मील यखी आण
मी प्रवासी पहडीयूँ थै
जब मी ऐ बात पूंछदूँ......................
मील जाँणयाली वोंकी पीड़ा
मील पाछायाण आली वोंकी खैरी
भुमी अपरी छुडीकी कु भी खुश नीच
तेरा भागमा बस आंसूं रैन
मी प्रवासी पहडीयूँ थै
जब मी ऐ बात पूंछदूँ......................
मी प्रवासी पहडीयूँ थै
जब मी ऐ बात पूंछदूँ
भै मेरा क्या बात व्हाई
किल तिल ऐ पहडा छुडै
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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