बढता रहा
दर्द है की कम होता नही
बढता ही जाता है बेरहम घटता नही
दर्द है की बस बढता रहा ...................
दिल बस उबलता रहा ख्यालों मे पलता रहा
साँस के साथ वो बस चलता रहा
दर्द है की बस बढता रहा ...................
आग की तरहा वो जलता रहा
अश्कों के साथ बस भीगता रहा
दर्द है की बस बढता रहा ...................
बरसात मे वो पिघलता रहा
मोम के साथ बस सीमटता रहा
दर्द है की बस बढता रहा ...................
काटों संग वो खिलता रहा
मधुमखी के छते पर वो बैठा रहा
दर्द है की बस बढता रहा ...................
दर्द है की कम होता नही
बढता ही जाता है बेरहम घटता नही
दर्द है की बस बढता रहा ...................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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