बरखा रुवाली
फिर आली बरखा गढ़ देश रुवाली
छम छम छमणता उधेडा गीत वा गाली
आली वा आषाढ़ का मैंना जेठ का मैंना वा जाली
बारहा मैना का दगडी सात भैनु मा वा कहंणी लागली
फिर आली बरखा गढ़ देश रुवाली
छम छम छमणता उधेडा गीत वा गाली
मोलयार होंयाँ भूमी मा वा हरालू कै जांदी
घु घु घुघती सी वा जीकोडी मा बडोली वा लांदी
फिर आली बरखा गढ़ देश रुवाली
छम छम छमणता उधेडा गीत वा गाली
देर सवेर बरखा भी गढ़ देश भातैक रुँआडी जांदी
बरसों भातैक बरसाणी बेटी ब्वारीयुं की बरखा कब रुकैली
फिर आली बरखा गढ़ देश रुवाली
छम छम छमणता उधेडा गीत वा गाली
आली वा आषाढ़ का मैंना जेठ का मैंना वा जाली
बारहा मैना का दगडी सात भैनु मा वा कहंणी लागली
फिर आली बरखा गढ़ देश रुवाली
छम छम छमणता उधेडा गीत वा गाली
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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