मय से मोहब्बत
दो घूंट मै जीने चाला हूँ
मैखाने मे मै पीने चला हूँ
मय से मेरी लडाई होई है
उसको ही मै मनाने चला हूँ
जींदगी अपनी मिटाने चला हूँ
आँखों संग नशा ऐसा छया
दिल अब भी वो देख रोया
टूटकर कर चूर चूर होआ वो
अगोशा मै उसकी ही खोया
जींदगी अपनी मिटाने चला हूँ
तकदीर से तस्वीर चुराने चला हूँ
मुकदर का फ़साना बनाने चला हूँ
गुमसुम था खामोश होने चला हूँ
अलविदा दोस्तों,हमनाम मेरे
मय से मोहब्बत करने चला हूँ
दो घूंट मै जीने चाला हूँ
मैखाने मे मै पीने चला हूँ
मय से मेरी लडाई होई है
उसको ही मै मनाने चला हूँ
जींदगी अपनी मिटाने चला हूँ
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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