देख अब भी
देख अब भी किसी को है इंतजार
धडकता है दिल अब भी बेकरार
आँखों मै भर के प्यार खडा है वो
दुर निगाहों से दुर तक ताक राहा है वो
देख अब भी किसी को है ...........
कल कल करती नदी की तरहां
पहाड़ों पहड़ों से बह राहा है वो
उडते बादल उड़ते पंछी को देख
क्या उनसे अब कह राहा है वो
देख अब भी किसी को है ...........
बुरंश प्योंली तिमला अरु
घुघूती हिलंसा का सहारा ले राहा है वो
बांजा पुंगडा टूटा कूड़ा आड़ा से देख राहा है वो
जंगलों की आग से लिपटा होआ सोच राहा है वो
देख अब भी किसी को है ...........
व्यथीत है टूटा होआ है चाहों ओर से
उजाड़ा उजाड़ा सा एक ओर खड़ा है वो
उसकी आंखे छलकती है वो अश्रु की धार सी
कोई तो होगा ऐसा जो आयेगा इस ओर
देख अब भी किसी को है ...........
देख ऐ दुरी किलोमीटर में सीमीत रह गयी
आते जाते सडकों मै वो बंधीस हो गयी
मील की तरंह खड़ा है वो तो सदीयुं से
बस अब तेरे वापस आने मे देरी हो गयी
देख अब भी किसी को है ...........
देख अब भी किसी को है इंतजार
धडकता है दिल अब भी बेकरार
आँखों मै भर के प्यार खडा है वो
दुर निगाहों से दुर तक ताक राहा है वो
देख अब भी किसी को है ...........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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