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हम मै ही रहे


हम मै ही रहे 

हम हम मै ही रहे 
अश्क बस बहते ही रहे 

दो घूंट गम के पीते रहे 
मैखाने मै बस दर्द बहते रहे 

मय मय से टकराती रही 
प्याले से बस आह आती रही 

आँखों से नग्मा वो थिरकता रहा 
रोशनी माध्यम उसे छुपाती रही 

लड़खडते कदमो से कहना तेरा 
एक जाम तू जींदगी को पीला 

उम्रभर का बना ऐ ठिकना तेरा 
मैकदे मे जाना अब वो बहना तेरा 

ग्ल्फत की नींद अब मै सोने चला 
मकबरे ने किया अब इशारा मेरा 

दो घूंट गम के पीते रहे 
मैखाने मै बस दर्द बहते रहे 

हम हम मै ही रहे 
अश्क बस बहते ही रहे 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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