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बस मै


बस मै 

बस मै लिखता ही रहा 
चूड़ियों मे खनकता ही रहा 
बिंदी में मै दमकता ही रहा 
पायल मे छमकता ही रहा 
बस मै लिखता ही रहा ........................

शब्द अक्षर बन उभरते रहे
आपस मे वो कुछ कहते रहे 
कभी मेरी कभी तेरी जुबान से 
वो बस यूँ ही बहते रहे 
बस मै लिखता ही रहा ........................

खो गया इतना अपने आप में 
भूल गया उस अहसास को
घूँघट से वो जो सर सरकता रहा 
सुंदर सा चेहरा निकलता रहा 
बस मै लिखता ही रहा ........................

दर्द मेरा अब हंसता रहा 
खुशी आँखों से अब छलकती रही 
दिन रैन अब यों ही गुजरते रहे
ढलते सूरज को मै तकता रहा 
बस मै लिखता ही रहा ........................

बस मै लिखता ही रहा 
चूड़ियों मे खनकता ही रहा 
बिंदी में मै दमकता ही रहा 
पायल मे छमकता ही रहा 
बस मै लिखता ही रहा ........................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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