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परायु मी


परायु मी 

णी जाणु णी जाणु गढ़ देशा
मी थै भरमैगै अब ऐ विदेशा 
टक्का की माया अजाणी सी 
छुट छुटी गै मयारू देशा.................

उकाली कणडू का बाटा
वख गरीबी का भूखी का राता 
कब वहली वख माया की बरसाता 
मण मयारू मोड़ीगै परदेशा 
छुट छुटी गै मयारू देशा.................

णी आणी मी थै खुदा भी 
णा आणी अब यख बडोली 
णी करणु वहलो याद कोई 
णी घुगुती अब यख घुराणी 
छुट छुटी गै मयारू देशा.................

अब बीराणु आजाणु मी 
देशा गों अपरू सी परायु मी 
यखरा बलदा सी आखरु मी 
एका सिंगा एका बाटू जाणु मी 
छुट छुटी गै मयारू देशा.................

णी जाणु णी जाणु गढ़ देशा
मी थै भरमैगै अब ऐ विदेशा 
टक्का की माया अजाणी सी 
छुट छुटी गै मयारू देशा.................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 



बालकृष्ण डी ध्यानी
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