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पुकार रही हो तुम


पुकार रही हो तुम

जब यूँ ही 
कोई आ जाता है याद 
हौले से कर लेता है 
वो इस दिल से बात 
जब यूँ ही ..............

बीते होये पल 
ओर उन की याद 
जुदाई का जगा अहसास 
वो मधुर तड़प अब साथ 
जब यूँ ही ..............

भूल जाता हूँ 
मै खुद को ही खुद से 
उन पलों के पास 
पाता हों बस तुम को साथ 
जब यूँ ही ..............

घर कर गयी हो मेरा 
इन वीरानो मै तुम आज 
पुकार रही हो तुम लेकर 
सिर्फ मेरा ही नाम 
जब यूँ ही ..............

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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