देख अपने को
देख अपने आप को
कर खुद से तू बात कभी
क्या कमी है तुझ मे देखले
कभी तो ये कर स्वीकार कभी
देख अपने आप को .....
देख पराया तो हर्षाया
अपने आप ही धोख खाया
रहा ताकता तू दुसरे को
अंत कर्ण ना शुद्ध हो पाया
देख अपने आप को .....
सब मलीना दिखा दुसरे मे ही
ऊँगली उठी तेरी बस दुसरी ओर
ऊँगली मोड़ा कभी अपनी अपनी ओर
तेरे आत्म की होगी तब भोर
देख अपने आप को .....
खोया है बस तो अपने आप मे
दुःख ताप ओर संताप मे
देखकर दूसरों के दोष को
कभी तो तू रोष मुक्ता हो
देख अपने आप को .....
समझ ले अपने आप मे
बात मानले अपने आप की
नही तो परया रह जायेगा
अकेला था अकेला जायेगा
देख अपने आप को .....
देख अपने आप को
कर खुद से तू बात कभी
क्या कमी है तुझ मे देखले
कभी तो ये कर स्वीकार कभी
देख अपने आप को .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
\बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ