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दारू ही दारू


दारू ही दारू 

देख गढ़ को हाल 
जीकोडी व्हागै तार तार ...२ 
दारू ही दारू छायूँ गढ़ मा आज 

लुटाणा छिण बोई सबका सब लुटाणा छिण 
क्या अपडा क्या सरकार क्या ठेकेदार 
लुट मची च लुट छुट मची च छुट ...२ 

पैली जो बंद अनख्युं हम सुणदा छा
आज खुली आँखोंण वा देख्याली ..२ 
आपरा पूर्वंजों का दिशा ध्याणी 
दारू का भेंट वामा भी चडीयाली 

क्या अपडा क्या सरकार क्या ठेकेदार 
लुट मची च लुट छुट मची च छुट ..२

बार तीयोहरों मा ब्यो बरती मा दारू 
पूजा पाठ मा मंदिर चौक सत्संग मा भी दारू ..2
कंण जामा मारी अपरा लोगों की 
क्ख्क ओर कंण की जाणा की च तैयारी 

क्या अपडा क्या सरकार क्या ठेकेदार 
लुट मची च लुट छुट मची च छुट ..२

देबता देवभूमी का अब रूठी गैना
गढ़ मा विपदा अब चिंता उभरी गैना..२ 
सुखी रैगै धरती बंजा व्हैगे पुंगडा 
गदनीयुं मा भी अब दारू बहैणा 

क्या अपडा क्या सरकार क्या ठेकेदार 
लुट मची च लुट छुट मची च छुट ..२

देख गढ़ को हाल 
जीकोडी व्हागै तार तार ...२ 
दारू ही दारू छायूँ गढ़ मा आज 

लुटाणा छिण बोई सबका सब लुटाणा छिण 
क्या अपडा क्या सरकार क्या ठेकेदार 
लुट मची च लुट छुट मची च छुट ...२ 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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