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चाँद मेरा


चाँद मेरा 

चाँद उतरा आज जमी पर 
रात के प्रहर से पहले ही देखा आज यंही पर 
संध्या में मैने इतने करीब पर
आज बैठा वो मेरे समीप पर 
चाँद उतरा आज जमी पर......................

लहरें चलकर आयी हो यंही पर 
किससे बातें करने आयी हो तुम इस धरा पर 
लिपटी हो तुम उस स्तभ निशाँ पर 
क्या छुपाया है आज तुमने इस धरा पर 
चाँद उतरा आज जमी पर......................

खिला होआ प्रकाशा कुंज हो तुम 
मेरा प्रियतम बस तुम्ही तुम हो तुम 
कैसे छुड जाआऊं अपने इस रवी को
दो घड़ी पास बैठों अपने उस कवी के 
चाँद उतरा आज जमी पर......................

साथ मेरा निभाना इसी तरंह तुम 
चाँद के तरंह अमवस्या मे ना खो कंही जाना 
बैठों जब मै अकेला कंही पर तुम से 
इसी तरहं मेरे ख्यालों मै आ जाना तुम 
चाँद उतरा आज जमी पर......................

चाँद उतरा आज जमी पर 
रात के प्रहर से पहले ही देखा आज यंही पर 
संध्या में मैंने इतने करीब पर
आज बैठा वो मेरे समीप पर 
चाँद उतरा आज जमी पर......................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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